ro अरबी ज़ुबान में चमड़े के मोज़े के लिए लफ़्ज़ इस्तमाल होता है खुफ़ैन। और दूसरा लफ़्ज़ जवराबैन है। अरबी शब्दकोश अल-क़ामूस के मुताबिक जो चीज़ लिफ़ाफे की तरह पाओन पर पाहेन लीन वो जोराब है। ख़ुफ़ैन पर मसाह करना सुन्नत है और इसपर हमारे मुआशरे में कोई इख़्तिलाफ़ नहीं है लेकिन इख़्तिलाफ़ ज़ोराब पर है। अबू बक्र इब्न अल-अरबी (उलेमा, जन्म ४६८ हिजरी) फरमाते हैं: "जोराब वो चीज़ है जो पाओ'न को ढा'नपने के लिए ऊन की बनी जाती है, जो पाओ को गरम रखने के लिए पहनती है। " जुराब पर मसाह करने पर सहाबा का इज्मा भी है। एक हदीस है, अल-मुग़ीरा इब्न शुबाह र.अ. रिवायत करते हैं कि रसूलअल्लाह ﷺ ने वुज़ू किया और जुराबो और जूतो पर मसाह फरमाया। सुनन अबू दाऊद, किताब अल-तहारा, हदीस-१५९; सुनन तिर्मिधि, किताब अल-तहारा, हदीस-९९। लेकिन ये हदीस ज़ैफ़ है क्योंकि इसमें सुफ़ियान अथ-थावरी मुदल्लिस है और वो एक से रिवायत कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ इमाम अबू दाऊद और इमाम तिर्मिज़ी ने सलफ का मनहाज़ लिख दिया है और वो हमारे लिए अहम है। क्या हदीस के बाद इमाम अबू दाऊद का क़व्वाल है: इमाम अबू दाऊद फरमाते हैं कि अली ब...