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क्या हराम ज़रिये से कमाई हुई दौलत वा माल से दावत देने वाले की दावत को कुबूल कर लिया जाए या नहीं? इस्लामिक शरीयत का क्या हुक्म है, क्या मैं मुआमले में हूं?
जवाब
۩ शेख इब्न उसैमीन र.अ. फार्मेट है:
“कुछ उलेमा ने कहा कि अगर किसी शक्स की दौलत हराम हो क्योंकि उसे हराम तरह से कमाया गया हो, तो उसका गुनाह सिर्फ उस पर है जो कमाता हो, उसकी दावत हलाल तरह से कुबूल करने वाले पर उसका गुनाह नहीं।
ये उन दौलत के तरह नहीं है जो हराम हो खुद में ही ये शराब है, ज़बरदस्ती माल हड़पना और उसी तरह। इस राए की बुनियाद मज़बूत है क्यूकी रसूलुल्लाह ﷺ यहुदी के यहां से अपने अयाल के लिए खाना लाते और यहुदी औरत का ख़ैबर में दिया हुआ दुम्बे को खाए थे (साहिह अल बुखारी, हदीस-२६१७.),
और रसूलुल्लाह ﷺ यहूद की दावत को कुबूल किया करते थे, जब ये अच्छे से पता है कि अक्सर यहूद सूद और हराम माल को खाते हैं (कुरान, ४:१६१)। शायद रसूलुल्लाह ﷺ के ये अल्फ़ाज़ बात है कि ताईद में वाज़ेह है जो बरिरा र.अ. को दिया गया बतौर सदका, ये हमारे लिए सदका है और हमारी तरफ से हमारे लिए हदिया है
(सहीह अल-बुखारी ५४३०)।"
अल-कवल अल-मुफ़ीद 'अला किताब अल-तौहीद, ३/११२।
۩ शेख़ इब्न उसैमीन और वज़ाहत से फरमाते हैं:
“जहा तक के हराम का मुआमला है क्योंकि ये (हराम) तारीख से कमाई गई है जैसे कि किसी को धोखा देकर, या सूद के ज़रिये से या झूठ के ज़रिये से या इसी तरह, ये उनके लिए हराम है जो इस तरह से ( कमाई कर के) हासिल करता है लेकिन ये किसी और के लिए हराम नहीं है अगर वो उसे हलाल जरूर से हासिल करे। ये बात जाहिर है कि रसूलुल्लाह ﷺ यहुदियों से करोबार (सौदा) किया करते थे [अल-बुखारी (२१६५) और मुस्लिम (१५५१)] जब कि वो हराम दौलत और सूद खाया करते थे। ये बात जाहिर करती है कि ये हासिल करने के अलावा किसी और के लिए हराम नहीं है।”
तफ़सीर सूरत अल-बकराह, १/१९८।
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