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अक्तूबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जरूरी नहीं कि मोजे़ चमड़े के हो

ro    अरबी ज़ुबान में चमड़े के मोज़े के लिए लफ़्ज़ इस्तमाल होता है खुफ़ैन। और दूसरा लफ़्ज़ जवराबैन है। अरबी शब्दकोश अल-क़ामूस के मुताबिक जो चीज़ लिफ़ाफे की तरह पाओन पर पाहेन लीन वो जोराब है। ख़ुफ़ैन पर मसाह करना सुन्नत है और इसपर हमारे मुआशरे में कोई इख़्तिलाफ़ नहीं है लेकिन इख़्तिलाफ़ ज़ोराब पर है। अबू बक्र इब्न अल-अरबी (उलेमा, जन्म ४६८ हिजरी) फरमाते हैं: "जोराब वो चीज़ है जो पाओ'न को ढा'नपने के लिए ऊन की बनी जाती है, जो पाओ को गरम रखने के लिए पहनती है। " जुराब पर मसाह करने पर सहाबा का इज्मा भी है। एक हदीस है, अल-मुग़ीरा इब्न शुबाह र.अ. रिवायत करते हैं कि रसूलअल्लाह ﷺ ने वुज़ू किया और जुराबो और जूतो पर मसाह फरमाया। सुनन अबू दाऊद, किताब अल-तहारा, हदीस-१५९; सुनन तिर्मिधि, किताब अल-तहारा, हदीस-९९। लेकिन ये हदीस ज़ैफ़ है क्योंकि इसमें सुफ़ियान अथ-थावरी मुदल्लिस है और वो एक से रिवायत कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ इमाम अबू दाऊद और इमाम तिर्मिज़ी ने सलफ का मनहाज़ लिख दिया है और वो हमारे लिए अहम है। क्या हदीस के बाद इमाम अबू दाऊद का क़व्वाल है: इमाम अबू दाऊद फरमाते हैं कि अली ब

एक कुर्बानी किसके लिए काफी हो सकती है?

ro    अल्हम्दुलिल्लाह.. भेड़, बकरी और मेंढे की एक कुर्बानी आदमी और इसके पहले वा अयाल वगैरा के लिए काफी है। इस्की दलेल मुंदरजा ज़ैल हदीस है; आयशा आर.जेड. बयान करती है के नबी ﷺ ने दो काले पांव, काली आंखों वाले मेंढे कुर्बानी करने का हुक्म दिया, और नबी ﷺ ने इन्हें फरमाया, "ऐ आयशा चूड़ी लाना (मुझे चूड़ी पकड़ो) तू मैंने इन्हें चूरी दी इनहोन वो चूड़ी ली और मेंधा पकड़ कर लिटाया फिर इसे ज़बाह किया (ज़बाह करने की तैयारी करने लगे) और फरमाया  بسم الله ، اللهم تقبل من محمد ، وآل محمد ، ومن أمة محمد ثم ضحى به’ बिस्मिल्लाहि अल्लाहुअकबर, ऐ अल्लाह मुहम्मद ﷺ और आले मुहम्मद और उम्मत ए मुहम्मद ﷺ की जानिब से कुबूल फरमा और फिर इसे जुबा कर दिया" सहीह मुस्लिम: 1967. अता बिन यासर रिवायत करते हैं कि मैंने अबू अय्यूब अंसारी र.अ. से पूछा कि रसूलअल्लाह के जमाने में कुर्बानी कैसे हुई थी? अन्होने फ़रमाया (के नबी ﷺ के दौर में) एक शख़्स अपना और अपने घर (परिवार) वालो की तरफ से एक बकरी की कुर्बानी देता था, वो खाते और खिलाते थे, यहाँ तक के लोग (ज़्यादा कुर्बानी पर) फ़क़र करने लगे और अब ये सूरत हाल हो गई है जो

हराम कमाई हुई दौलत से दावत देने वाले की दावत कुबूल करना

ro    सवाल क्या हराम ज़रिये से कमाई हुई दौलत वा माल से दावत देने वाले की दावत को कुबूल कर लिया जाए या नहीं? इस्लामिक शरीयत का क्या हुक्म है, क्या मैं मुआमले में हूं?  जवाब ۩ शेख इब्न उसैमीन र.अ. फार्मेट है: “कुछ उलेमा ने कहा कि अगर किसी शक्स की दौलत हराम हो क्योंकि उसे हराम तरह से कमाया गया हो, तो उसका गुनाह सिर्फ उस पर है जो कमाता हो, उसकी दावत हलाल तरह से कुबूल करने वाले पर उसका गुनाह नहीं। ये उन दौलत के तरह नहीं है जो हराम हो खुद में ही ये शराब है, ज़बरदस्ती माल हड़पना और उसी तरह। इस राए की बुनियाद मज़बूत है क्यूकी रसूलुल्लाह ﷺ यहुदी के यहां से अपने अयाल के लिए खाना लाते और यहुदी औरत का ख़ैबर में दिया हुआ दुम्बे को खाए थे (साहिह अल बुखारी, हदीस-२६१७.), और रसूलुल्लाह ﷺ यहूद की दावत को कुबूल किया करते थे, जब ये अच्छे से पता है कि अक्सर यहूद सूद और हराम माल को खाते हैं (कुरान, ४:१६१)। शायद रसूलुल्लाह ﷺ के ये अल्फ़ाज़ बात है कि ताईद में वाज़ेह है जो बरिरा र.अ. को दिया गया बतौर सदका, ये हमारे लिए सदका है और हमारी तरफ से हमारे लिए हदिया है  (सहीह अल-बुखारी ५४३०)।" अल-कवल अल-मुफ़ीद &#

तयम्मुम करने का स्टेप बाय स्टेप तरीका

  ro    पानी ना मिलने की सूरत में (या दूसरे हालात जिसकी शरीयत ने इजाज़त दी हो) पाक मिट्टी को वुज़ू या ग़ुस्ल की नियत करके अपने हाथों और मुँह पर मलना तय्यमुम कहालता है। इसका तरीका ये है: 1. तयम्मुम की नियत करते हुए बिस्मिल्लाह कह कर अपने दोनों हाथ एक बार ज़मीन पर रखे। 2. फिर दाए हथेली का ऊपर वाला हिसा बाए हथेली पर फेर। 3. फिर से हथेलियाँ का ऊपर वाला हिस्सा दाएँ हथेलियाँ पर फेर। 4. फिर अपने दोनो हाथ चेहरे पर फेरे। आपकी तयम्मुम मुकम्मल हुई (इसके बाद वुज़ू के बाद पढ़ी जाने वाली दुआ पढ़ें।) •٠•●●•٠•

क़ुर्बानी की हैसियत ना रखने वालो के लिए क़ुर्बानी का सवाब

ro       en       ur - अबदुल्लाह बिन अमर रज़ीअल्लाह-तआला अन्हा से रिवायत है कि रसूलअल्लाह ﷺ ने एक व्यक्ति से फ़रमाया: “मुझे क़ुर्बानी के दिन को ईद मनाने का हुक्म हुआ है, अल्लाह ताला ने इस दिन को इस उम्मत के लिए ईद का दिन बनाया है, वो व्यक्ति बोला: अगर मेरे पास सिवाए एक दो उधार की बक्री के कुछ ना हो तो आपका क्या ख़्याल है? क्या में इस की क़ुर्बानी करूँ? आपने फ़रमाया: नहीं, बल्कि तुम (क़ुर्बानी के दिन) अपने कुछ बाल, नाख़ुन काटो, अपनी मूंछ तराशो और नाभि के नीचे के बाल काटो, तो ये अल्लाह ताला के नज़दीक तुम्हारी मुकम्मल क़ुर्बानी है |” निसाई, हदीस-४३७०, सहीह (शेख़ ज़ुबैर अली ज़ई) यानी जो लोग कुर्बानी का सवाब हासिल करना चाहते है लेकिन उनकी इस्तेताअत नही है तो वह लोग भी इस सवाब को हासिल कर सकते है, जुल हिज्जा का चांद देखने के बाद अपने बाल और नाखुन काटने से रुक जाए और ईद की नमाज पढ कर उनको काट लें तो उन्हें भी कुर्बानी का मुकम्मल सवाब मिलेगा  | •٠•●●•٠•