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कुरान, ४२:१४
इस आयत में भी उनलोगों के लिए भी लम्हा ए फ़िक्रिया है जो ये कहता है कि हमें तो कब्र में ही या आख़िरत में हाय पता चलेगा कि हक क्या है या कौन सही है या कौन ग़लत है। हम मसे बोहत लोग ये कहते हैं। इसकी कोई वजह हो सकती है और इसकी एक वजह ये भी होती है कि हमारे कुछ भाइयों के पास तहकीक करने का वक्त नहीं होता। हम सोशल मीडिया, नौकरी और अपने परिवार को तो वक्त दे सकते हैं लेकिन दीन सीखें/समझने के लिए वक्त नहीं है हमारे पास।
तो अल्लाह ऊपर की आयत में लोगों को डांटते हुए कहते हैं कि तुम्हारे पास कुरान है आ जाने के बाद भी तुम ये कहते हो कि पता नहीं क्या हक है। जब कुरान को तो अँधेरे में एक रोशनी कहा गया है खुद कुरान में। ये वैसी ही बात हुई कि हम किसी रेस्ट्रो में जाते हैं और हमें मेन्यू कार्ड दिया जाता है उसके बाद भी हम कहते हैं कि अल्लाह !! पता जाने यहां पर खाने में क्या सर्व करते हैं।
बहाने हमारे दुनिया में काम आ सकता है, आख़िरत में नहीं, अगर अल्लाह ने आख़िरत में पूछा कि हमारे पास कुरान और हदीस आने के बाद भी हम जिंदगी भर गलत चीज़ों पर अमल क्यों करते रहे, तो हम क्या जवाब देंगे अल्लाह पाक को?
कुरान , ४२:१४
क्या आयत में अनलोगो के लिए भी लम्हा ए फ़िक्रिया है जो ये कहता है कि हमें तो कब्र में ही या आख़िरत में हाय पता चलेगा कि हक क्या है या कौन सही है या कौन ग़लत है। हम मसे बोहत लोग ये कहते हैं। इसकी कोई वजह हो सकती है और इसकी एक वजह ये भी होती है कि हमारे कुछ भाइयों के पास तहकीक करने का वक्त नहीं होता। हम सोशल मीडिया, नौकरी और अपने परिवार को तो वक्त दे सकते हैं लेकिन दीन सीखें/समझने के लिए वक्त नहीं है हमारे पास।
तो अल्लाह ऊपर की आयत में लोगों को डांटते हुए कहते हैं कि तुम्हारे पास कुरान है आ जाने के बाद भी तुम ये कहते हो कि पता नहीं क्या हक है। जब कुरान को तो अँधेरे में एक रोशनी कहा गया है खुद कुरान में। ये वैसी ही बात हुई कि हम किसी रेस्ट्रो में जाते हैं और हमें मेन्यू कार्ड दिया जाता है उसके बाद भी हम कहते हैं कि अल्लाह !! पता जाने यहां पर खाने में क्या सर्व करते हैं।
बहाने हमारे दुनिया में काम आ सकता है, आख़िरत में नहीं, अगर अल्लाह ने आख़िरत में पूछा कि हमारे पास कुरान और हदीस आने के बाद भी हम जिंदगी भर गलत चीज़ों पर अमल क्यों करते रहे, तो हम क्या जवाब देंगे अल्लाह पाक को?
जब अल्लाह पाक खुद गारंटी लेता है कुरान में कि एपी सच्चे दिल से हिदायत (सही तारिका) तलाश करो और अल्लाह जरूर हिदायत देगा, बल्कि अल्लाह की जिम्मेदारी है हिदायत देना फिर हम क्यों नहीं पढ़ते कुरान का तर्जुमा? यहां काफिर कुरान पढ़ कर मुसलमान हो रहे हैं और हम कुरान को आलमीरा में सजा कर कहते हैं कि अल्लाह जाने हक क्या है.. हम कैसे बेवकूफ बन रहे हैं? (शायद खुद को)!
आज से कुरान का तर्जुमा पढ़ना शुरू करें। क्या पता कल आप इस वक्त कब्र के सवालो को फेस कर रहे हो !! और वाहा पर आपकी नौकरियां, आपके करियर, आपके बीवी-बच्चे काम नहीं आएंगे, वाहा आपका अमल और कुरान आपका सहारा होगा
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