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लफ़्ज़ "जहेज़" अरबी लफ़्ज़ एच जिसकी म'आनी ह तय्यारी करना, जिस तरह सूरह यूसुफ़ में है "वा लम्मा जहज़हुम बी जिहाज़िहिम" और जेबी उन्हो ने उनके लिए समां तय्यार रखा।
गोया "जहाँ" तयारी को कहते हैं और ये शादी पर जायज़ है लेकिन ये जहाज़ लड़के के ज़िम्मा है क्योंकि शादी की साड़ी तयारी उसी को करनी होती है, जिस तरह नबी ने अली आर.ए. को देखा। की ज़िरह बेच कर हमसे अली र.ए. के लिए तय्यारी की जिस को जहेज कहते हैं और ये शरई जहेज ह।
लेकिन जिस को बर्र ए सगीर में जहज़ कहते हैं वो यही है कि लड़की अपने घर से वो सामान तय कर के लाती है जिस के लिए लड़के वालो की तरफ से पहले ही लिस्ट दीया गया हो गया है लेकिन इसकी शरयत में कोई हैसियत नहीं और ये लड़के की बेगैरती का सबूत है और हिंदुओं से नफरत है क्योंकि हिंदू इसे ही कन्यादान कहते हैं...
कुरानी आयत और अहादीस से वाज़ेह होता है कि शादी एक सदगी का नाम है शादी से मुआशरा सुधरता है दो खानदान आबाद होते हैं, नई नसल की शुरुआत होती है। और ऐसी कोई आयत नहीं है और ना ही हदीस है जिस्मे है कि लड़की को दहेज देना चाहिए सारे दलाईल यही कार कह रहे हैं कि लड़के को महर देना चाहिए अल्लाह का फरमान भी अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम का कौल भी और सहाबा इकराम की जमात भी ।
अल्लाह का फरमान है-
मर्द औरत पर हकीम है, क्योंकि अल्लाह ने एक को दूसरे पर फजीलत दी है, और इस वजह से मर्दो ने अपना माल खर्च किया है। [सूरह निसा ३४]
और एक जगह फरमाया-
और औरतों को उनको महेर राज़ी ख़ुशी देदो।[सूरह निसा ४]
और फरमाया-
और जो तुम उन्हें दे चुके हो हमसे कुछ भी वापस लेना तुम्हारे लिए हलाल नहीं।
[तफ़सीर इब्ने कसीर १/४७४]
शेख अब्दुल्ला बिन क़ौद कहते हैं-
महेर लेना बीवी का हक है, इसे मुकर्रर करना वाजिब और जरूरी है, बीवी और इसके घर वालो पर कोई चीज देना वाजिब नहीं लेकिन अगर वो खुशी से देना चाहे तो उनकी मर्जी।
इन आयतों से ये जाहिर होता है कि मर्द औरत को महेर अदा करेगा नके औरत मर्द को अब अहम मुअज्जु की तरफ आते हैं इस्लाम में दहेज की क्या हकीकत है क्या अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम हमारे नबी हैं रसूल हैं रहनुमा हैं कुदवा हैं आदर्श हैं उनकी जोड़ी से ही जन्नत मिल सकती है उनकी इताअत से ही अल्लाह राजी होता है तो क्या अनहोने दहेज लिया अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम ने ११ शादियान की किसी एक से भी अपने दहेज के लिए गौर करेन दोस्तों अगर किसी के पास कोई दलील है तो पेश करें और आपके बाद आपके सहाबा खुलफाए रशीदीन ने भी एक से ज्यादा शादियान की किसी ने दहेज के लिए नहीं आप पूरी तारीख़ उठा कर देखें और अपने बेटों की भी शादी करें या किसी को दहेज़ दें, अल्लाह के लिए गौर करें सोचें अपना इस्लाह करें, मुआशरे की इस्लाह करें।
अब आइये हमसे बात की तरफ जो ये झूठा दावा करते हैं और इसे ही समाज में बिगाड़ फैलाया जहाज का... वो ये के अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम ने हज़रत फातिमा र.अ को जहेज़ दिया, ये अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम पर तोहमत है और इसको डर न चाहिए अल्लाह से उसके अज़ाब से और लोग जो इस वहीम में मुब्तिला हैं उनको तहकीक करना चाहिए अंधी तकलीद गुमराही है, इस हकीकत पर नज़र डालते हैं... हदीस इस तरह से है:
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम के पास अबू बकर सिद्दीकी आर.ए., उमर फारूक आर.ए., उस्मान गनी आर.ए आते हैं और अली आर.ए के निकाह के बारे में बात रखते हैं और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम पूछते हैं क्या अली रज़ी हैं तो कहते हैं हां वो रज़ी है. तो फिर बात ताई हुई जब हज़रत अली र.ए सामने आए तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैहि वसल्लम ने पूछा अली आपके पास फातिमा को देने के लिए माहेर में क्या है तो अली र.ए कहते हैं अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैहि वसल्लम मैं तो बचपन से आपके पास रहा हूं मेरे पास तो कुछ भी नहीं हां जंग ए बदर में ये जीरा मुझे मिली थी एक तलवार और ढाल तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम ने कहा तलवार और ढाल तो काम आएगी इसको रखलो और ये जीरा बेच कर इसकी कीमत लेके औ यही आपका महेर होगा और उसकी से आपका निकाह होगा, फिर अली आर.ए गए बेचने उस्मान आर.ए.के. पास वो हमें जीरा को खरीदने के लिए ४०० दिनार में फिर उसने कहा क्या अब मैं इस जीरा को किसे भी देदुं अली आर.ए ने कहा अब ये आपका है आप जो चाहें तो उस्मान आर.ए. ने अली को ही वो तोहफे में दीदी फिर अली र.अ.अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम जाकर सब बयान किये फिर आपने उनसे वो पैसे लेकर उनका माहेर ताई किया और उसी पैसे से दो चखियां लिन, एक चटाई ली, और एक साहबी के मकान में आपका इंतेजाम किया और कुछ खाने पकाने की चीज को भी अपने खरीद कर दिया वो इसली के अली र.अ.शुरू से हाय अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहुलैही वसल्लम के पास रहते थे तो उनके पास कोई समान नहीं था तो इन्ही की ज़िरा बेच कर इन्ही के पैसन में से लिया गया हाय... सुभान अल्लाह
संदर्भ: तबक़त इब्न साद, अल जलालैन, तारिक उल तबरी, इब्न हिशाम, सही मुस्लिम और सही बुखारी (बाब अल निकाह में पूरी तफ़सील मौजूद है)
तो इसकी असल शकल ये है जिसे तोड़ मदोद कर पेश करके जहेज को साबित किया जाता है।
अल्लाह स्वात हम सबको सुन्नतो पर चलने की तौफीक अता फरमाये।और कहने सुने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फरमाये।
आमीन या रब्बुल आलमीन-
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